एक विदेशी जिसने उत्तराखंडी संस्कृति को नए आयाम दिए
स्टेफेन फिऑल
पहाड़ी लोकगीतों का जुड़ाव उत्तरखण्डी लोगो मे बहुत अधिक देखने के लिए मिलता है। फिर चाहे वह ग्रामीण अथवा शहरी किसी भी स्थान में निवास करती हो, जो अपनी संस्कृति जुड़ाव को दर्शाता है. अपनी मातृ भूमि से मातृ भाषा से सभी को एक जुड़ाव होता है. एक भावुकता इसमें दर्ष्टिगोचर होती है।
उत्तराखंड की संस्कृति और यह के वातावरण से अनेक व्यक्तियों को प्रभावित होते हुए देखा है. परन्तु किसी ऐसे व्यक्ति को हमारी संस्कृति के विषय मैं हमसे अधिक जानकारी और भावनात्मक जुड़ाव हो ,ऐसा काम हे देखने के लय मिलता है ,इसी श्रंखला मैं एक नाम स्टेफेन फियोल का आता है।
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स्टेफेन फिऑल |
एक परिचय :
स्टेफेन फिऑल का जन्म अमेरिका मैं हुआ था, ये अमेरिका के सिनसिनाटी विश्यविद्यालय (ओहियो) में संगीत के प्राध्यापक है। उत्तराखंड मैं २००३ मैं आये और उत्तराखंडी संगीत का अध्यन करने के ले रुद्रप्रयाग स्थित नक्षत्र वेदशाला शोधकेंद्र में योगाचार्य भास्कर जोशी से ढोल सागर के इतिहास तथा उसकी बारीकियों का अध्यन किया। व सिद्धहस्त लोक वादकों के विषय मैं जानकारी प्राप्त की,१४ वर्षो तक उत्तराखंड मैं रहने के बाद यह की संस्कृति पारम्परिक वाद्य यन्त्र (ढोल, दमऊ )को लोकवादक सोहनलाल (उजार ग्राम, देवप्रयाग )से सीखा , समझा, और अपनाया।
इतने समय उत्तराखंड मैं रहने के बाद यहा से इतने प्रभवित हुए की उन्होंने अपना नाम बदल कर फ्युलिदास कर दिया। यह रहकर हिंदी के साथ साथ बहुत अच्छी गढ़वाली बोलना भी सीख़ गए।
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स्टेफेन फिऑल |
विदेशो मैं उत्तराखंडी संस्कृति की झलक
प्रीतम भरतवाण (उत्तराखंडी लोक गीतकार ) के नारंगा सारंगा एल्बम के जागर मैं आप स्टेफेन को देख सकते है , प्रीतम भरतवाण के साथ मिलकर अमेरिका की सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी के छात्रों के साथ मिलकर ढोल दमाऊ और उत्तराखंडी संस्कृति के कार्यक्रम किये और अपने जगारो का रंग बिखेरा।![]() |
प्रीतम भरतवाण व स्टेफेन (उत्तराखंडी लोक गीतकार ) |
स्टेफेन का उत्तराखंड की संस्कृति को योगदान
स्टेफेन ने उत्तराखंड की वाद्य यन्त्र (ढोल दमाऊ )के विषय मैं एक पुस्तक himalayan beats लिख चुके है ,यह ढोल दमाऊ की विधा को सहेजने वाला ऐतिहासिक दस्तावेज बन गया है।
यह पर समाप्ति मैं यही निष्कर्ष निकलता है, की व्यक्ति अपनी मुलभुत आवश्यकताओं के लिए पलायन तो कर रहे है, साथ हे एक ऐसी संस्कृति और विरासत को भूल रहे है , जो की हमारा आधार है. स्टेफेन के जीवन से यही प्रेरणा ली जा सकती है कि, एक संस्कृति जो विस्मृत हो रही है.. वह वास्तव मैं कितनी महान है। और उससे बहुत कुछ सीखा जा सकता है.